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Showing posts from August, 2019

प्यार कौन करे

वज़न-2122 1212 22/112 ग़ज़ल ज़िंदगी फिर से ख़ार कौन करे । प्यार अब बार बार कौन करे ॥ प्यार मीरा सी इक इबादत है । प्यार को दागदार कौन करे ॥ जिसके किरदार में न खुशबू हो । ऐसी सूरत से प्यार कौन करे ॥ प्यार है इक सदा खमोशी की । प्यार को इस्तहार कौन करे ॥ प्यार की राह पुर ख़तर है मगर । प्यार में होशियार कौन करे ॥ कितने दरिया बहा दिए रो के । आँख अब अश्क़ बार कौन करे ॥ राह देखी है उसकी सदियों तक । और अब इंतजार कौन करे ॥ जिसकी रग़ रग़ में हो फरेब भरा । उस पे अब एतबार कौन करे ॥ मुझको कहता है वो महादेवी । उन सी कविता हज़ार कौन करे ॥ गर नहीं है खुशी जमाने में । ग़म की दहलीज़ पार कौन करे ॥ 'आरज़ू' खुश्क हो गयी दिल की । अब ख़िज़ा को बहार कौन करे ॥    -अंजुमन आरज़ू ©✍ 20/08/2019